Thursday, February 6, 2025

अगर देखी होती वो तस्वीर

देखी पहली बार वो तस्वीर
जो सालों पहले क़ैद हुई थी,
उन हसरतों से भरे माहौल में
जब लगती थी गुस्ताख़ी
एक पल के लिए भी
आँख मिलाने की कोशिश।

और बातें जो हो सकती थीं,
पर नहीं हो पाईं एक,
अजीब सी झनझनाहट में गुम
जिसका उस उम्र को तजुर्बा ना था।

अगर देखी होती वो तस्वीर
कुछ सालों पहले,
और महसूस करते
वो ग़लतियाँ,
और बनाते फिर से वो रिश्ते,
पूरी करते वो रुकी हुई बातें।

तो क्या होता सफर,
क्या होता समा,
और क्या होती ज़िंदगी,
जो अब खोजे हुए हैं
एक अंजान मक़ाम।


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